Friday 23 February 2018

सात गलतिया जो उपभोक्ता शिकयतों को दूर करने में बाधा बनती है | (7 Deadly Sins Of Consumer Complaints )

consumer complaint online forum
मान लीजिये कि आपने एक कंपनी से  फर्नीचर खरीदा है, लेकिन पता चलता है कि यह आपके पहुंचते से पहले क्षतिग्रस्त हो गया था|आपकी नयी टेलीविजन कि स्क्रीन पर चलते चलते लाइन्स आने लगती है | आपने अपने घर कि मरम्मत के लिए आपने ठेकेदार को  नियुक्त किया था पर अब आपको पता चल रहा है की काम में अभी भी खराबी है और उसको टिक से सही करना चाहते है लेकिन जब आप कॉल करते है तो वो आपका फ़ोन नहीं उठाते या फिर आपको दूबर वो नहीं मिलना चाहते चाहे जितनी भी आप कोशिश  कर ले या फिर वह आपके मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे है । अक्सर ऐसा ही होता है क्योकि उपभोक्ता शिकायतों (consumer complaints) में कुछ ऐसे पाप कह लीजिये या फिर भूल हो जाती जिससे उपभोक्ता को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है | हम यहाँ पर वो सात घातक पापों जो उपभोक्ता शिकयतों (consumer complaints) में हो जाती है| वो सात उपभोक्ता शिकायतों की भूल कुछ इस प्रकार है |

1. क्रोध (Wrath): आप कंपनी की उपभोक्ता समस्या (consumer problem) पर बेहद निराश हैं और ग्राहक सेवा को कॉल करने का निर्णय लेते हैं  उनको आप लाइन पर लेते ही उन्हें सुनाने लगते है बिना उनकी किसी भी बात को सुने बिना | आप अपने क्रोध में यह भी भूल जाते है दूसरी तरफ का व्यक्ति आपकी समस्या का निवारण करने के लिए है | आपके इस क्रोध के कारण उपभोक्ता देखभाल के लिए चयनित व्यक्ति उपभोक्ता की बात को अनसुना करने लगता है | इसलिए आपको चाहिए की कॉल करने से पहले सभी दस्तावेजों को एकत्रित करे और अपनी बात को अच्छी तरह से उपभोक्ता देखभाल डिपार्टमेंट (Consumer Care Department) के सामने रखे जिससे आपकी जल्द से जल्द दूर होने में मदत मिलेगी | 

2. ग़लतफ़हमी (Misunderstanding) : अक्सर उपभोक्ता सामान को लेने में इतने जल्दीबाजी करते है कि उनके द्वारा लिए जाने वाले उत्पाद के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं लेपाते और उनको बाद में समस्या का सामने करना पड़ जाता है | अगर उपभोक्ता शिकयत (consumer complaint) कर रहा है  उस समय भी वो जल्दबाजी में रहता है वो अपनी बारीकी से न लिखकर सीधे समस्या को ही लिख देता है|जब वो पत्र और लेटर कंपनी तक पहुँचता है तो वो समस्या को पूर्ण रूप नहीं जान पाते और उपभोक्ता शिकयत (consumer complaint) को नज़रअंदाज़ कर देते है | इस तरह उपभोक्ता और कंपनी के बीच ग़लतफ़हमी और बढ़ती है और उपभोक्ता शिकयतों को दूर करने में वक्त लग जाता है |

3. लालच (Greed): कभी कभी कंपनी उपभोक्ता समस्या (consumer problem) को निवारण करने को तैयार हो जाते है पर उपभोक्ता का बढ़ता लालच उनकी उपभोक्ता समस्या को दूर करने में अवरोध पैदा होता है | उपभोक्ता मूल रूप से ११०% की मांग करता है जोकि मुद्दे को सुलझाने के बजाय और उलझाने लगती है और उपभोक्ता शिकयतों (consumer complaints) को कंपनी के कर्मी नजरअंदाज करने लगते है | इस समय जब आपको कंपनी मौका दे तो पूरा फायदा उठा कर समस्या सुलझाना ही उपभोक्ता के लिए फायदेमंद रहता है | 

4. आलस्य (Laziness): अधिकांश उपभोक्ता इस श्रेणी में आते हैं | जोकि अपनी अपनी समस्या को दूर तो करना चाहते है पर उसके लिए किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहते है | वो अक्सर आलस्य करने लगते है अपने मुद्दे को निपटारा करने में | इस वजह से कंपनी भी उनकी शिकयतों को टालने लगती है और नजरअंदाज करती है | इस यह जरूरी है कि अपनी उपभोक्ता समस्या (consumer problem) को दूर करना चाहते है तो आप आप दढ़ निशचय करना पड़ेगा और जिम्मेदारी के साथ उपभोक्ता समस्या को निवारण करना पड़ेगा जो कि आपको मौलिक अधिकार है |  

5. अहंकार (Ego):  उपभोक्ता देखभाल  सेवा (consumer care service) प्रतिनिधि के साथ सौदा नहीं करना चाहते जब आप पहली बार उपभोक्ता शिकायत के लिए कंपनी से संपर्क करते है। आपको लगता है कि आप एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है और प्रबंधन में किसी के साथ, या यहां तक कि कार्यकारी स्तर पर व्यवहार किया जाना चाहिए । यदि यह एक छोटी सी कंपनी है, यह सही दृष्टिकोण हो सकता है । लेकिन एक बड़ी कंपनी में हर मुद्दे को आगे बढ़ने के उचित प्रणली का पालन किया जाता है।

6. असुरक्षा (Insecurity): अगर आपके अंदर किसी भी प्रकार की घबराहट महसूह होती है और खुद को कंपनी के सामने असुरक्षित मासूस करते है तब भी आपकी उपभोक्ता शिकयत निवरण (consumer complaint redressal) में बाधा आ सकती है | अगर कंपनी आपकी इस प्रकार की छवि को पाता है तो वो समझ जाता है कि आप सिर्फ आपकी समस्या कि छतिपूर्ण के लिए सिर्फ १०% ही लायक हो| इस लिए आपको अपने अधिकार के विषय में जानना चाहिए और पोरे साहस के साथ उपभोक्ता शिकायत का निवरण करना चाहिए |  

7. मूर्खता (Idiocy): कभी कभी उपभोक्ता अपनी शिकायत को लिख रूप से कंपनी तक पहुँचता है और उसके लेटर में शब्दों के स्पेलिंग में इतनी गलतिया होती है कि कंपनी को लगता है कि उपभोक्ता शिक्षत नहीं है | उपभोक्ता का लेटर कंपनी को आकर्षित करने के बजाय नकारात्मक छवि छोड़ता है | जिस वजह से कभी कभी कंपनी उपभोक्ता शिकायत (consumer complaint) को टालने लगती है |


अगर आपको लगता है कि आपकी भी उपभोक्ता शिकयत (consumer complaint) है तो आप अपनी उपभोक्ता शिकयत (consumer complaint) को Voxya ऑनलाइन कंस्यूमर फोरम (online consumer forum) में दर्ज करने और अपनी समस्या को जल्द से जल्द दूर करे |

उपभोक्ता शिकायतों के इन सात घातक पापों में से किसी एक कि वजह से आप आपने मुद्दे को हल करने में असमर्थता का परिणाम मिल सकता है |

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