एर्नाकुलम उपभोक्ता शिकयत निवारण मंच (Ernakulam Consumer Disputes Redressal District Forum) ने पाया कि इंश्योरेंस क्लेम राशि (Insurance Claim Amount) की प्रोसेसिंग में देरी इंस्युरेन्स कंपनी (Insurance Company) के सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार को दर्शाता है |
एक नाबालिग के मामले में, जो एक पार्क में खेलते समय फ्रैक्चर से पीड़ित हो गया था उसके मामले की सुनवाई करते हुए फोरम ने यह अवलोकन किया और उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) ने कहां कि न केवल बीमाकृत राशि ही नहीं बल्कि बीमा कंपनी की सेवाओं में कमी और देरी के कारण उपभोक्ता को मुआवजा भी देना होंगा |
यह फैसल अप्रैल महीने उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) के दिए गए फैसले में कहां गया, जिसमे मुवत्तुपुज़्हा के राजेश बालाकृष्णन ने अपने नाबालिक की ओर से उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) में 2016 में याचिका की थी |
उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को 20,000 रुपये का मुआवजा सेवाओं में कमी होने के कारण शिकायतकर्ता (Complainant) को देने को कहां |
याचिका के अनुसार, राजेश अपने परिवार के साथ 12 अप्रैल 2016 में थांनीचाल पार्क घूमने गए थे | वहां पर स्लाइड पर खेलते समय गिर गया था और कुछ चोटें भी आयी थी | तुरंत, उसको त्रिपुनिथुरा के प्राइवेट हॉस्पिटल (Tripunithura Private Hospital) में ले जाया गया था |
डॉक्टर (Doctor) ने जब जाँच की तो पता चला कि उसकी कोहनी में फ्रैक्चर हो गया था | जिसकी वजह से उनके लड़के को 2 दिन तक हॉस्पिटल (Hospital) में रहना पड़ा था और जिसका खर्च 20,000 रुपये आये थे | इसके बाद, राजेश ने मुआवजे की मांग के लिए पार्क अधिकारियों से संपर्क किया |
पार्क के अधिकारियों ने राजेश को जानकारी दी कि वे नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (National Insurance Company) के साथ बीमित थे और उसे पहले क्लेम दर्ज करने की सलाह दी | इसके बाद, शिकायतकर्ता (Complainant) ने बीमा क्लेम (Insurance Claim) के लिए कंपनी से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ |
बीमा कंपनी तर्क दिया कि उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) से पहले राजेश से बीमा कंपनी (Insurance Company) को कोई भी शिकायत नहीं मिली थी | इसलिए वह बीमा कंपनी (Insurance Company) से उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिल पाया था |
लेकिन राजेश ने अपनी शिकयत कि रसीद और किये गए मेडिकल क्लेम को सबूत के तौर पर मंच के सामने रखे जो कि कंपनी के हस्ताक्षर किये हुए दस्तावेज थे |
बीमा कंपनी (Insurance Company) कोई भी उचित दस्तावेज सामने नहीं रख पायी और दस्तवेजो को भी देखा जिसमे कंपनी ने उपभोक्ता को उत्तर भी दिया था |
Content Source: TOI Indian Times
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