ऑटोमोबाइल प्रमुख टाटा मोटर्स और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) स्थित कंपनी के डीलर को सर्वोच्य उपभोक्ता अदालत ने ग्राहक के वाहन की मरम्मत वारंटी समय के अंदर न करने पर 41,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है |
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (NCDRC) ने कहा कि अभ्यास के अनुसार, डीलर वारंटी के तहत वाहन की मरम्मत करते हैं लेकिन निर्माता भी इसके लिए "समान रूप से जिंमेदार" है |
एनसीडीआरसी (NCDRC) ने राज्य आयोग (State Commission) के आदेश को संशोधित करते हुए, जिसमे टाटा मोटर्स को मुआवजा देने से बरी थे, किसी भी मुआवजे का भुगतान करने से, निर्माता और डीलर दोनों को संयुक्त रूप से छत्तीसगढ़ निवासी नीरज तिवारी को एक माह के भीतर भुगतान करने को कहां |
"मैं याचिकाकर्ताओं (डीलर) द्वारा उठाए गए मुद्दे से सहमत हूं कि वारंटी टाटा मोटर्स द्वारा जारी किया गया है और वे वारंट के तहत मरंमत की अनुमति के लिए जिंमेदार है" एनसीडीआरसी (NCDRC) के पीठासीन सदस्य प्रेम नारायण ने अपने आदेश में यह कहा |
तिवारी ने टाटा मोटर्स (Tata Motors) के एक अधिकृत डीलर से ट्रक खरीदा था | हालांकि, वाहन वारंटी में था, डीलर ने ट्रक में हुई थी कुछ दोषों की मरम्मत करने से मना कर दिया, जिसके बाद तिवारी ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम का रुख किया था |
जिला फोरम (District Forum) के बाद उनकी शिकायत खारिज हो गयी, जिसके बाद उनका केस राज्य आयोग (State Commission) में चला गया था, जहां पर उन्होंने अपील की, जिसमे केवल डीलर को मुआवजे का भुगतान करने को कहां गया | राज्य आयोग ने आगे कहा था कि चूंकि वाहन में कोई निर्माण दोष नहीं था, इसलिए निर्माता की ओर से कोई कमी नहीं हुई है |
डीलर ने फिर किया सर्वोच्य कंज्यूमर कमीशन (Apex Consumer Commission) की तरफ रुख किया और कहां कि अगर वारंटी के तहत रिपेयरिंग की कोई जिम्मेदारी थी, यह निर्माता की होंगी और वे अपने वहन के खर्च को उठाने के लिए उत्तरदाई होना चाहिए |
टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने सुप्रीम कमीशन (Supreme Commission) से पहले यह बहाना किया था कि वाहन को ठीक से बनाए रखने में ग्राहक की लापरवाही के मुख्य कारण था, इसलिए वारंटी पहले ही वापस आ खड़े हुए | इसमें कहां गया था कि वाहन के निर्माण में कोई दोष नहीं था, इसलिए निर्माता वारंटी के तहत मरम्मत के लिए जिम्मेदार नहीं है |
इस पर, शीर्ष आयोग ने कहा कि स्टेट कमिशन (state commision) कि शायद भूल है जिसके तहत टाटा मोटर्स (Tata Motors) के दायित्व दोषमुक्त किया |
"जाहिर है, निर्माता के खिलाफ की गई शिकायत की बर्खास्तगी ही इस हद तक जायज है कि राज्य आयोग ने वाहन में किसी भी प्रकार का निर्माण दोष नहीं पाया था | हालांकि, जहां तक वारंटी का सवाल है तो टाटा मोटर्स और याचिकाकर्ता (डीलर) समान रूप से जिंमेदार है |", ये कहां गया |
इसलिए दोनों को सामान रूप से ग्राहक को मुआवजा देने का आदेश, सर्वोच्च उपभोक्ता अदालत (Supreme Consumer Court) ने दिया |
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