Tuesday 1 October 2019

लोन डिफॉलटर के कुछ कानूनी अधिकार (Legal Rights For Loan Defaulter)


कई बार आर्थिक परेशानियों के कारण कई लोग लोन चुका पाने में नाकाम हो जाते है | ऐसे में बैंक और फाइनेंस कंपनी वाले लोन लेने वाले व्यक्ति को बार बार परेशान करते है | कई बार तो यह भी देखने में आया है कि परेशान करना इस हद तक बढ़ जाता है कि लोन लेने वाले को अच्छा नहीं लगता या कई तरह कि परेशानिया का सामना करना पड़ता है | 

इसलिए जानते है कुछ ऐसे कानूनी अधिकार अधिकारों के विषय में जिससे आप  इस तरह की समस्याओ से बच सकते है |  

अगर कोई व्यक्ति गलती से किसी भी प्रकार के लोन में डिफाल्टर हो जाता है तो लाओं देने वाली बैंक या फाइनेंस कंपनी उस आदमी को बुरी तरह से प्रताडीत  करती है | 

नोटिस प्राप्त करने का अधिकार 

डिफॉलटर होने पर आप किसी तरह के अपराधी नहीं हो जाते है | आपसे वसूली करने के लिए बैंक और फाइनेंस कंपनी की तरफ से आपको एक नोटिस मिलनी चाहिए | इस नोटिस में आपको लोन चुकाने का समय दिया जाता है | इसके अंतर्गत अगर आपने लगातार तीन महीनो तक आपने किस्तों का भुगतान नहीं किया है  तो आपके लोन कहते को डुबा हुआ लोन खाता मन लिया जाता है | इसके बाद आपको नोटिस दी जाती है और उसमे 30 दिनों का समय मिलता है | ऐसे में बैंक को सम्पति बेचने के लिए 60 दिनों से पहले एक पब्लिक नोटिस भी दिया जाता है | इतने दिनों में आपके पास लोन को चुकाने का समय होता है | 

अपनी सम्पति की सही मूल्य को जानना
अगर आप 60 दिनों की नोटिस अवधि में कर्ज को नहीं चुका पाते है या फिर उस नोटिस का कोई जवाब भी नहीं दे पाते है | तो बैंक आपकी सम्पति की नीलामी प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है | जिसमे सम्पति का मूल्य, नीलामी की तारीख, प्रॉपर्टी का ब्यौरा दिया होता है | अगर आपको लगता है कि आपकी सम्पति कि वैल्यू कम लगायी गयी है | तो आप आपत्ति दर्ज करा सकते है और कोई सम्पति का बेहतर ग्राहक खोज कर सीधे बैंक में ले जाकर बात करवा सकते है | 


बची हुई रकम को वापस लेना 

अगर आपकी सम्पति की नीलामी प्रक्रिया में आ चुकी है | तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी सम्पति पूरी तरह से आपके हाथो से निकल चुकी है | नीलामी प्रक्रिया में आपको अपनी सम्पति पर पूरी तरह से नज़र रखने की जरुरत होती है | सम्पति बिकने पर लोन का कर्ज चुकाने के बाद जितनी भी राशि बचती है आपका हक है कि आप बैंक से उसको वापस ले और बैंक और बची सम्पति को लौटना ही होता है | 

सुनवाई का अधिकार 

नोटिस के अवधि दौरान आप बैंक के किसी अधिकारी के सामने आप अपनी बात को रख सकते है और सम्पति के कब्जे को लेकर आपत्ति को दर्ज करवा सकते है | ऐसे में बैंक अधिकारी को 7 दिनों के अंदर उसका जवाब देना होता है | इसके बाद भी आपकी आपत्ति ख़ारिज की जाती है तो अधिकारी को आपत्ति ख़ारिज करने का कोई वेध कारण देना होता है |

मानवीय अधिकार 

RBI ने वसूली के लिए नियम बना रखे है | इसके अंतर्गत कोई भी बैंक या फाइनेंस कंपनी आपसे अमानवीय तरीके से वसूली नहीं कर सकती है | बैंक के कलेक्शन एजेंट को आपके गोपनीयता का पूरा ध्यान रखना होगा | इसके साथ ही वह सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक ही आपके पास लोन की वसूली के लिए आपके पास आ सकते है |    

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