Wednesday 24 October 2018

घरेलू हिंसा नियम (Domestic Violence Act - Women Protection Act)

घरेलू हिंसा (Domestic Violence)

शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा (Physical Anguish), अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार (sexual abuse) अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार (oral and emaotional abuse) अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना,मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा (Domestic Violence) कहलाते हैं।

इस क़ानून (law) के तहत घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के दायरे में अनेक प्रकार की हिंसा (violence) और दुर्व्यवहार आते हैं। किसी भी घरेलू सम्बंध या नातेदारी में किसी प्रकार का व्यवहार, आचरण या बर्ताव जिससे आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, या किसी अंग को कोई क्षति पहुँचती है, या  मानसिक या शारीरिक हानि होती है, घरेलू हिंसा (Domestic Violence) है।


इसके अलावा घरेलू सम्बन्धों या नातेदारी में, किसी भी प्रकार का


  • शारीरिक दुरुपयोग (जैसे मार-पीट करना, थप्पड़ मारना, दाँत काटना, ठोकर मारना, लात मारना इत्यादि),
  • लैंगिक शोषण (Sexual abuse) (जैसे बलात्कार अथवा बलपूर्वक बनाए गए शारीरिक सम्बंध, अश्लील साहित्य या सामग्री देखने के लिए मजबूर करना, अपमानित करने के दृष्टिकोण से किया गया लैंगिक व्यवहार, और बालकों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार),
  • मौखिक और भावनात्मक हिंसा ( जैसे अपमानित करना, गालियाँ देना, चरित्र और आचरण पर आरोप लगाना, लड़का न होने पर प्रताड़ित करना, दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना, नौकरी न करने या छोड़ने के लिए मजबूर करना, आपको अपने मन से विवाह न करने देना या किसी व्यक्ति विशेष से विवाह के लिए मजबूर करना, आत्महत्या की धमकी देना इत्यादि),
  • आर्थिक हिंसा ( जैसे आपको या आपके बच्चे को अपनी देखभाल के लिए धन और संसाधन न देना, आपको अपना |
  • रोज़गार न करने देना, या उसमें रुकावट डालना, आपकी आय, वेतन इत्यादि आपसे ले लेना, घर से बाहर निकाल देना इत्यादि), भी घरेलू हिंसा (Domestic Violence) है।


जानिए क्या है घरेलू हिंसा के नियम (Rules For Domestic Violence)
  • इस एक्ट के तहत महिला मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की court में complaint कर सकती है |  

  • शिकायत पर सुनवाई के दौरान court protection officer से रिपोर्ट मांगता है |
  • महिला जहां रहती है या जहां उसके साथ घरेलू  हिंसा हुई है या फिर जहां प्रतिवादी रहते है, वहां complain की जा सकती है | 

  • प्रोटेक्शन ऑफिसर (Protection Officer) घटना की रिपोर्ट अदालत (court) के सामने पेश करता है और उस रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत  (court) प्रतिवादी को सामान जारी करता है | 
  • प्रतिवादी का पक्ष सुनने के बाद अदालत अपना आदेश पारित करती है | 
  • इस दौरान अदालत महिला को उसी घर में रहने देने, खर्च देने या फिर प्रोटेक्शन (Protection) देने का अधिकार दे सकती है | 
  • अगर अदालत महिला के फेवर में आदेश पारित करती है और प्रतिवादी उस आदेश का पालन नहीं करता है तो डीवी  एक्ट-31 के तहत प्रतिवादी पर केस बनता है | 
  • इस एक्ट के तहत चलाये गए मुक़दमे में दोषी पाए जाने पर एक साल तक कैद की सजा का प्रावधान है | साथ ही साथ, 20 हजार रुपये तक के जुर्माना का भी प्रावधान है |
  • यह केस गैरजमानती और कॉग्निजिबल होता है  


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