इस एक्ट के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति को चेक जारी करता है और वह चेक बैंक द्वारा अनादरित (bounce) कर दिया जाता है तो यह अपराध है |
उदाहरण के लिए (For an example)
सुरेश ने किसी सौदे के भुगतान के एवज में रमेश को देश रुपये का चेक प्रदान किया और बैंक द्वारा उस चेक को सुरेश के खाते में अपर्याप्त राशि होने के कारण अनादरित कर दिया तो प्रक्रम्य लिखित अधिनियम 1881 (written statement of 181) की धारा 138 के तहत सुरेश पर वाद दायर किया जा सकता है |
नियम (Rule)
चेक अनादरित होने के बाद रमेश से चेक जारी करने वाले सुरेश से 15 दिनों में भुगतान के लिए आग्रह करेगा | इस आग्रह को वकील के द्वारा लीगल नोटिस रजिस्टर्ड डाक के द्वारा भेजना चाहिए |
अगर 15 दिन के अंदर सुरेश रुपये का भुगतान नहीं करता है, तब रमेश न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग के पास एक माह की अवधि में वाद दायर कर सकता है |
इस अधिनियम के तहत चेक अनादरण का गुनाह दो वर्ष का कारावास एवं दुगुने जुर्माने से दण्डनीये बनाया गया है |
अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है और किसी के द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो रहा है तो आप पहले उस व्यक्ति या कंपनी से संपर्क करे | कोई जवाब न मिलने पर आप अपनी शिकयत को दर्ज क्र सकते है | अगर आप अपनी शिकयत ऑनलाइन (complaint online) करना चाहते है तो Voxya ऑनलाइन उपभोक्ता फोरम (online consumer forum) का चयन करना न बोले |
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