Monday 14 January 2019

कंस्यूमर फोरम ने 3 रुपये की गलती के लिए कंपनी को 4000 रुपये उपभोक्ता को देने के लिए कहा, जानिए पूरा मामला 1 मिनट में (Firm told to pay Rs 4,000 for Rs 3 mistake)

लुधिअना (Ludhiana): पहले से डिस्काउंट प्रोडक्ट पर 3.15 रुपये का value added tax (VAT) लगाना रिटेल स्टोर पर भारी पड़ गया और जिसकी वजह से रिटेल स्टोर को 4,000 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा | 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम (District Consumer Dispute Redressal Forum) ने लाइफस्टाइल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड MBD नियोपोलिस मॉल, फ़िरोज़पुर रोड, राजगुरु नगर, निवासी चंडीगढ़ (Chandigarh) फोरम (Forum) में शामिल अध्यक्ष G K धीर और सदस्य ज्योत्स्ना जी ने 2,000 रुपये मानसिक उत्पीड़न और व्यथा के लिए और 2,000 रुपये कानूनी खर्च के लिए सेक्टर 23C, चंडीगढ़ निवासी गगनदीप सिंह को क्षतिपूर्ति के रूप में देने को कहा है |    

पिछले साल 2 जुलाई को शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत उपभोक्ता फोरम (complaint consumer forum) में की, जिसमे गगनदीप सिंह ने जिसमे उपभोक्ता ने एम.आर.पी. 90 रुपये में जून 28, 2017 में डिस्काउंट प्राइस पर 66.25 रुपये में 5% VAT राशि 3.15 रुपये भी उसी में शामिल था | शॉप आउटलेट में उस प्रोडक्ट पर 30% का डिस्काउंट था जिसके बाद उसकी कीमत 63 रुपये होती है, पर उन्होंने VAT की अधिक कीमत ले ली थी | 


शिकायतकर्ता (complainant) ने दावा किया कि अतिरिक्त वैट की राशि लेना की वजह से मानसिक पीड़ा और व्यथा का सामना करना पड़ा | जिसके लिए उन्होंने 18% वार्षिक ब्याज के साथ अधिक भुगतान राशि वापसी की मांग की | साथ ही साथ 35,000 रुपये का मुआवजा मानसिक पीड़ा और व्यथा के लिए और 25,000 रुपये कानूनी खर्च का दावा किया | 

अपने लिखित उत्तर में रिटेल स्टोर ने कहा कि "पहले से बने सिद्धांत के अनुसार, वैट अंतिम ' बिक्री मूल्य ' पर वसूला जाता है और केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम (Central Sales Tax Act) और पंजाब वेट अधिनियम, 2005 (Punjab VAT Act 2005) के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए सरकार को भुगतान किया जाता है |"

कंस्यूमर फोरम (consumer forum) ने कहा कि रियायती मूल्य पर वैट वसूलने के अधिनियम को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, नई दिल्ली (National Consumer Dispute Redressal Commission, New Delhi) द्वारा पदावनत किया गया है | यह भी कंस्यूमर फोरम (consumer forum) ने कहा कि "इस मामले में दिए गए उत्पाद में वैट कि राशि एम.आर.पी. में पूर्ण रूप से शामिल थी इसलिए अतरिक्त वैट लेना एक अनुचित व्यापार अभ्यास को दर्शाता है |" 

उपभोकत फोरम (consumer forum) ने आदेश दिया कि जितनी भी अधिक राशि ली गयी है उसे 6% वार्षिक ब्याज के साथ उपभोक्ता को वापस किये जाये चूकि इस मामले की वजह से उपभोक्ता को मासिक पीड़ा और व्यथा का सामना करना पड़ा इसलिए उन्हें 2,000 मुआवजा के रूप में और 2,000 रुपये कानूनी कार्यवाही की लागत के लिए दिए जाये |


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