एक महिला ने जुलाई, 2019 में Motipur प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में ट्यूबक्टोमी (महिला नसबंदी) कराने के बावजूद गर्भवती होने पर state government से 11 लाख रुपये मुआवजा मांगने की मांग करते हुए Muzaffarpur स्थित District Consumer Forum में याचिका लगाई है |
यह केस 6 मार्च को दर्ज किया गया था | तबादले से पहले Muzaffarpur civil surgeon Dr Harendra Kumar Alok ने मामले की जांच के आदेश दिए |
Muzaffarpur के Motipur थाना क्षेत्र अंतर्गत महना गांव निवासी फूलकुमारी देवी (30) की शादी 20 मई 2009 को पूर्वी चंपारण के मोतिहारी स्थित बखरी नजीर गांव के सुधीर दास (35) से हुई थी | दास दिहाड़ी मजदूर हैं और आजीविका कमाने के लिए डेढ़ माह पहले ही हरियाणा के पानीपत शिफ्ट हुए हैं |
जब इस बारे में संपर्क किया गया तो दास ने पानीपत से फोन पर TOI को बताया कि उनकी पहले से ही तीन बेटियां हैं और एक बेटा और उनकी पत्नी ट्यूबक्टॉमी (महिला नसबंदी) से गुजरी हैं क्योंकि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहते थे | उन्होंने कहा, "मैं एक और बच्चे का खर्च वहन नहीं कर सकता | उन्होंने कहा, यही कारण है कि मेरी पत्नी ने खर्च वहन करने के लिए राज्य सरकार (State Government) से 11 लाख रुपये मुआवजे के लिए Consumer Forum में स्थानांतरित कर दिया है |"
अशिक्षित दास ने कहा कि वह गर्भपात कराकर भ्रूण को मारने का पाप नहीं करना चाहते थे | दास ने बताया, "अब मेरी पत्नी सात महीने की गर्भवती है, उसने बताया कि उसने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी |"
उसके चाचा विश्वनाथ दास ने बताया कि वे अपनी भतीजी के गर्भवती होने के बारे में जानने के बाद मोतीपुर पीएचसी (PCH) गए थे | "यह डॉ सुधीर कुमार ही थे जिन्होंने जुलाई, 2019 में उस पर ट्यूबक्टॉमी को किया था | वह अभी भी वहां तैनात है | हालांकि, उन्होंने हाल ही में दो बार हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जब हम उनसे पूछने गए कि परिवार नियोजन सर्जरी के बाद भी वह गर्भवती कैसे हो गईं | एक आशा ने हमें मुआवजा प्राप्त करने के लिए क्लेम फार्म भरने को कहा | दास ने कहा, हालांकि, मेरी भतीजी ने consumer forum में आवाज उठाई है |
पूछे जाने पर डॉ आलोक ने कहा कि कई बार इस तरह की सर्जरी (surgery) फेल हो जाती है | उन्होंने कहा, "फूलकुमारी की घटना चार दिन पहले मेरी जानकारी में आई थी जिसके बाद मैंने जांच के आदेश दिए थे | "ऐसे परिदृश्य में एक पीड़ित को Rs. 30,000 मुआवजे का प्रावधान है | इसके अलावा राज्य सरकार (State Government) ऐसे मामलों में प्रसव और दवा खर्च भी वहन करे | उन्होंने कहा, हालांकि, पीड़ित को इन लाभों के लिए स्वास्थ्य विभाग (Health Department) को दावा करना चाहिए |
डॉ आलोक ने यह भी कहा कि गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों के दौरान सीमित समय के भीतर गर्भपात की भी कानूनी प्रावधानों के अनुसार अनुमति दी जाती है | आलोक ने कहा कि जांच रिपोर्ट पर इस मामले में आगे आवश्यक कार्रवाई की जाएगी |
Content Source: TOI
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