इंदौर (Indore): Consumer Court ने State Bank Of India Indore को लॉकर में चोरी के मामले में उसके एक ग्राहक अनूपचंद मेहता को 3,46,500 रुपये देने का आदेश दिया है | 14 साल बाद Bank से मेहता दंपति को उनके खोए हुए कीमती सामान की राशि मिलेगी | Bank को फरवरी 2008 से प्रति माह 12 प्रतिशत ब्याज और दंपती को 60 हजार का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है |
मेहता दंपति ने दिसंबर 2006 में लॉकर खरीदा और 3,54,500 रुपये के बराबर मूल्य के सामान रखे | उक्त लॉकर को अंतिम बार 13 फरवरी, 2007 को दंपति द्वारा खोला गया था | Bank अधिकारी खांडेकर ने 2 फरवरी, 2008 को मेहता दंपति को Bank द्वारा आधा खुला लॉकर मिलने की जानकारी दी | जब उन्होंने अपना लॉकर खाली पाया तो दंपति अचंभित रह गए | Bank के प्रबंधक ने जांच का वादा किया, हालांकि, जांच का कोई जवाब कभी भी दंपति के साथ साझा नहीं किया गया | Bank जांच में देरी करता रहा और दंपति द्वारा भेजे गए किसी भी legal notice का जवाब नहीं दिया |
Consumer Court ने 3 मई को इस बात से इंकार किया कि Bank ने शिकायतकर्ताओं को प्रदान किए गए लॉकर में चोरी के संबंध में कोई संतोषजनक जांच न करके कई सवालों को अनुत्तरित छोड़ दिया और अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की। जेवरात और रखे नगदी भी चोरी हो गए जो स्पष्ट रूप से सेवा में कमी को दर्शाता है और काफी प्रयास के बाद भी शिकायतकर्ता को कोई राहत नहीं दी गई |
अत: Bank अब फरवरी 2008 से 12 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज सहित शिकायतकर्ता पक्ष को 3,46,500 रुपये वापस करने के लिए जिम्मेदार है | यह राशि उन Bank कर्मचारियों के वेतन से भुगतान की जानी अपेक्षित है जो सुरक्षा के लिए तैनात थे और उस समय Bank लॉकरों का रखरखाव कर रहे थे | विरोधी को मानसिक कष्ट के लिए हर्जाने के रूप में 60 हजार रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाना है |
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