अहमदाबाद (Ahmedabad): एक उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) ने जीवन बीमा निगम (Life Insurace Corporation (LIC)) को अपने विज्ञापन के पंचलाइन में रेखांकित अपने आदर्श वाक्य पालन करने की सलाह दी - "ज़िन्दगी के साथ भी, ज़िन्दगी के बाद भी" |
मामला साबरकांठा (Sabarkantha) जिले के कडियादारा गांव से एक शिक्षक अनिलबेन ठाकर से संबंधित है । वह जून 2012 में कैंसर से मर गयी थी। उसके जीवन के अंतिम चरण के दौरान, वेतन बचत योजना (Salary Savings Scheme) (एसएसएस) के अनुसार उसके वेतन से दो माह का प्रीमियम नहीं काटा गया । वह 1994 के बाद से एसएसएस (SSS) के तहत प्रीमियम का भुगतान नियमित रूप से करते थे । जब उसके पति निरंजनकुमार ठाकर ने 2 लाख रुपए के बीमे का दावा किया तो उसे केवल 55,900 रुपए की राशि का भुगतान किया गया, जिसे 18 वर्ष में प्रीमियम के रूप में एलआईसी को भुगतान किया गया । दो माह तक प्रीमियम का भुगतान न होने के कारण उसकी नीति (Policy) को कालातीत (lapsed) घोषित किया गया ।
एलआईसी (LIC) ने दावेदारी के बारे में बताया कि चूंकि पिछले दो प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए वह नीतिगत लाभों के हकदार नहीं थे और इस लिए कंपनी केवल प्रीमियम राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है । ठाकर ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम (Consumer Dispute Redressal Forum), साबरकांठा जिला स्थानांतरित किया, जिसने एलआईसी से पूछताछ की, कि वह पॉलिसी बंद करने से पहले बीमाकृत को अनिवार्य नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया|
न्ययाधीश की बैठक में एम. जे. मेहता और एस. आर. पटेल ने पाया कि बीमाकृत ने LIC को पिछले 18 सालो से सभी प्रीमियम को सफलता पूर्वक दिया था और गंभीर बीमारी के चलते वो अपने LIC बिमा की पालिसी पर ध्यान नहीं दे पायी और उसके जीवन के पिछले दो महीनों में उसके वेतन से प्रीमियम की कटौती के बारे में किसी को सूचित नहीं किया | इसलिए अदालत (court) ने पाया इसमें महिला की गलती नहीं थी |
अदालत (court) ने कहा कि बीमा कंपनी और बीमा पालिसी (Insurance Policy) को लेने वाले ने 18 साल तक स्वस्थ संबंध बनाये रखे | ऐसी परिस्थितियों में, कंपनी को अपने विज्ञापन पंचलाइन पर खरा उतना होंगा और दो महीने की अनुग्रह अवधि पुरस्कार के रूप में देना होंगा क्योंकि एलआईसी योजनाओं (LIC's schemes) प्रीमियम का भुगतान करने वालों के लिए लाभकारी होने के लिए होती हैं और कंपनी को अपने आदर्श वाक्य का पालन करने को भी कहां "जीवन के साथ भी और जीवन कि बाद भी"| इतना कहते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि उपभोक्ता (consumer) को उनकी पॉलिसी की रकम का भुगतान करने का आदेश दिया |
अगर आपकी भी कोई उपभोक्ता शिकयत (consumer complaint) है तो आप भी अपनी शिकायत का निवारण Voxya कंस्यूमर फोरम ऑनलाइन (consumer forum online) पर पा सकते है| यह आपकी शिकयत को जल्द से जल्द दूर करने और उचित समाधान दिलाने में मदद करता है |
content source: TOI
"File Consumer Complaints Against Company At
Voxya Online Consumer Forum"
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